Maharana pratap biography in hindi. महाराणा प्रताप का इतिहास 2022-12-17

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Maharana Pratap Singh, also known as Pratap Singh I, was a Rajput warrior king and the ruler of Mewar, a region in present-day Rajasthan, India. He is considered one of the greatest warriors in Indian history and is remembered for his bravery and determination in the face of overwhelming odds.

Maharana Pratap was born in 1540 to King Udai Singh II and Queen Jaiwanta Bai of Mewar. He was the eldest son of the king and was named after his ancestor, Maharana Pratap, who was also known for his bravery and valor. Maharana Pratap received a thorough education in the arts, sciences, and military tactics and was well-prepared to take on the role of a ruler.

When Maharana Pratap's father died in 1572, he ascended the throne of Mewar. However, his rule was immediately challenged by the Mughal Emperor Akbar, who sought to expand his empire and annex Mewar. Maharana Pratap refused to submit to Mughal rule and vowed to defend his kingdom at all costs.

The ensuing conflict between Maharana Pratap and the Mughals, known as the Battle of Haldighati, is one of the most famous battles in Indian history. Despite being vastly outnumbered, Maharana Pratap and his small army fought bravely and managed to inflict heavy casualties on the Mughals. However, they were ultimately unable to defeat the Mughals and Maharana Pratap was forced to retreat.

After the Battle of Haldighati, Maharana Pratap spent the rest of his life fighting against the Mughals and striving to protect his kingdom. He established a guerrilla-style warfare campaign, which was successful in harassing the Mughals and keeping them at bay. Maharana Pratap's determination and bravery earned him the respect and admiration of his subjects and he became a symbol of Rajput resistance against Mughal rule.

Maharana Pratap died in 1597 at the age of 57. He is remembered as a hero and a symbol of Rajput pride and honor. His legacy lives on in the hearts of the people of Mewar and he is celebrated as a symbol of Rajput valor and resistance to foreign rule.

Maharana Pratap Biography in Hindi

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महाराणा प्रताप का व्यक्तित्व Maharana Pratap बहुत ही शक्तिशाली और अपने देश के लिए समर्पित होने वाले एक बहादुर राजा थे Maharana Pratap इतने शक्तिशाली थे कहा जाता है कि उनका खुद का वजन 110 किलो का था और उनका लंबाई 7 फीट 5 इंच था महाराणा प्रताप अस्त्र शास्त्र के रूप में दो तलवार कवच ढाल और भाला रखते थे उनके भाले का वजन 81 किलो रहता था और उनकी कवच का वजन 72 किलो रहता था ऐसा कहा जाता हैं कि सारी चीजें मिलाकर 208 किलो हो जाता था. महाराणा प्रताप के घोडे की कहानी चेतक की कहानी Story of Chetak in Hindi एक समय की बात है जब राणा उदय सिंह ने बचपन में महाराणा प्रताप को राजमहल में बुलाकर दो घोड़ो में से एक का चयन करने कहा। एक घोडा सफ़ेद था और दूसरा नीला। जैसे ही प्रताप ने कुछ कहा उसके पहले ही उनके भाई शक्ति सिंह ने उदय सिंह से कहा की उसे भी घोड़ा चाहिये, शक्ति सिंह शुरू से अपने भाई से घृणा करते थे. Retrieved 27 March 2017. Retrieved 1 November 2021. मेरी गर्दन के चारों ओर अपनी तलवार रख दिया? उन्हें घुड़सवारी भी बहुत अच्छे से आती थी. कहा च। यह विश्वसनीय नहीं होगा यदि प्रताप अकबर को सम्राट कहा जाता था, जैसा कि सूरज किसी तरह से तेज दिशा में उगता है। मुझे कहां खड़ा होना चाहिए? जिस कारण वहा के लोग नाखुश हो गये थे, क्योंकी जगमाल किसी भी तरह उतराधिकारी बनने लायक नही था.


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महाराणा प्रताप का जीवन परिचय, इतिहास, कहानी और उनकी मृत्यु

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या गर्व से ले जाने के लिए? हल्दीघाटी के युद्ध में ना तो Maharana Pratap की हार हुई और ना ही मुगल बादशाह अकबर की हार हुई हल्दीघाटी युद्ध के बाद Maharana Pratap जंगल में रहकर जब अपनी सेना बल बड़ा लिए तब 1577 में फिर से मुगल बादशाह अकबर से युद्ध हुआ और इसमें अकबर को हारना पड़ा इस युद्ध को कुछ इतिहासकारों ने बैटल ऑफ दिवेर कहा हैं. में अपनी सेना को लेकर अजमेर से मेवाड़ की और रवाना हुआ था और इस सेना का प्रथम पड़ाव मांडल गाँव में और दूसरा पड़ाव मोलेला राजसमन्द में हुआ था. इस बात से नाराज होकर जगमाल अकबर की शरण में चला गया था, और अकबर ने सोच लिया था की जगमाल मेवाड़ को अपने कब्जे में करने के लिए काम आएगा इसलिए अकबर ने जगमाल को सिरोही की कुछ जागीर दे दी. जंगल में रहकर Maharana Pratap ने घास की रोटी बनाकर खाकर अपना जीवन यापन करते थे ऐसी विकट परिस्थिति में भी वह कभी भी दुखी या निराश नहीं होते थे और अपने सैनिक बल को तैयार करते रहते थे कहा जाता हैं कि जब हल्दीघाटी का युद्ध हुआ था तब Maharana Pratap अपने घोड़ा चेतक पर बैठकर इतने तेजी से भागे थे कि उनका पीछा कोई नहीं कर सका था एक बहुत ही लंबा नाला था. महाराणा प्रताप की मृत्यु हल्दीघाटी युद्ध के बाद अकबर ने भी यह मान लिया था कि वह Maharana Pratap से कभी नहीं जीत सकता हैं क्योंकि महाराणा प्रताप ने भले ही अपना राज्य धन दौलत सारा से त्याग दिया था.

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Maharana Pratap Biography In Hindi

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Retrieved 1 November 2021. मुगल से लड़ने के लिए मुगल को भारत से निकालने के लिए भारत के कई राजा महाराजाओं ने युद्ध किया उन्हें हराया और भारत को मुस्लिमों से स्वतंत्र कराना चाहा उन्हीं में से एक बहुत ही वीरता और त्याग पराक्रम के प्रतिमूर्ति माने जाने वाले महाराणा प्रताप राजा थे जो कि अपने तलवार अपने हाथी घोड़ा भाला आदि के लिए जाने जाते हैं तो आइए हम लोग इस लेख में सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा महाराणा प्रताप के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं. Retrieved 16 September 2021. इस युद्ध का नेत्रित्व महाराणा प्रताप घोड़े पर तथा मानसिंह हाथी पर सवार होकर युद्ध कर रहे थे, युद्ध इतना भयंकर था की सम्पूर्ण मैदान लाशों से भर गया था. अभिगमन तिथि 9 May 2019.

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महाराणा प्रताप का इतिहास

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महाराणा प्रताप की पत्नी का नाम क्या था? महाराणा प्रताप की मृत्यु Maharana Pratap Death अकबर साम्राज्य के अंत के ग्यारह वर्ष के बाद ही 19 जनवरी 1597 में अपनी नई राजधानी चावंड में महाराणा प्रताप की मृत्यु हो गई. हल्दी घाटी के युद्ध में चेतक घायल हो गया था उसी समय बीच में एक बड़ी नदी आ जाती हैं जिसके लिए चेतक को लगभग 21 फिट की चौड़ाई को लांगना था. National Book Trust, India. हिन्दुवा सूर्य महाराणा प्रताप. भील अपने पुत्र को कीका कहकर पुकारते है इसलिए भील महाराणा को कीका नाम से पुकारते थे. आज भी चित्तोड़ की भूमि खून से लथपथ है महाराणा प्रताप और अकबर के युद्ध में गयी जाने आज भी चित्तोड़ में अपनी यादें बसाये बैठी हैं. India Today अंग्रेज़ी में.


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Maharana Pratap History in Hindi

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ऐसा कहा जाता है कि महाराणा प्रताप कुल 360 किलो वजन ढोते थे, जिसमें 80 किलो का भाला, 208 किलो वजन की दो तलवारें और उनका कवच लगभग 72 किलो भारी था. प्रताप को नील अफ़गानी घोड़ा पसंद था लेकिन वो सफ़ेद घोड़े की तरफ बढ़ते हैं और उसकी तारीफों के पूल बाँधते जाते हैं उन्हें बढ़ता देख शक्ति सिंह तेजी से सफ़ेद घोड़े की तरफ जा कर उसकी सवारी कर लेते है. महाराणा प्रताप का हाथी Maharana Pratap का घोड़ा तो प्रसिद्ध हैं ही लेकिन उनके पास एक हाथी भी था जिसका नाम रामप्रसाद था रामप्रसाद बहुत ही देशभक्त और स्वामी भक्त हाथी था रामप्रसाद हाथी ने हल्दीघाटी युद्ध में अपने स्वामी महाराणा प्रताप की तरफ से युद्ध करते हुए अकेले ही अकबर के 13 हाथियों को मार दिया था उस एक हाथी को पकड़ने के लिए उसने 7 हाथी और उस पर 14 मुहावतों को बैठाकर एक चक्रव्यूह बनाया था जिसे की रामप्रसाद हाथी को पकड़ा जाए और उसे बंदी बना लिया था कहा जाता हैं कि जो मुगल सैनिक रामप्रसाद हाथी को पकड़कर अकबर के दरबार में ले गए तब उसे खाना पानी भी दिया जा रहा था तो वहां नहीं खाता था 18 दिन वह वहां पर जीवित रहा लेकिन कभी भी उसने मुगलों का एक दाना भी मुंह में नहीं डाला था और वहीं पर उसकी मृत्यु हो गया. National Book Trust, India. ? मानसिंह की सेना के साथ प्रताप के भाई शक्ति सिंह भी थे जो की अकबर की शरण में चला गया था. मूल से पुरालेखित 21 अक्तूबर 2020.

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[PDF] महाराणा प्रताप बायोग्राफी PDF

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महाराणा प्रताप और चेतक का इतिहास — Maharana Pratap and Chetak History in Hindi चेतक नील रंग का अफ़गानी अश्व था चेतक, महाराणा प्रताप का सबसे प्रिय घोड़ा था चेतक में संवेदनशीलता, वफ़ादारी और बहादुरी कूट कूट कर भारी हुई थी. उनका घोड़ा चेतक दुनिया के इतिहास का सबसे प्रसिद्ध घोड़ा है. महाराणा प्रताप मुग़ल सम्राट अकबर से नहीं हारे। उसे एवं उसके सेनापतियो को धुल चटाई । हल्दीघाटी के युद्ध में प्रताप जीते। महाराणा प्रताप के विरुद्ध हल्दीघाटी में पराजित होने के बाद स्वयं अकबर ने जून से दिसम्बर 1576 तक तीन बार विशाल सेना के साथ महाराणा पर आक्रमण किए, परंतु महाराणा को खोज नहीं पाए, बल्कि महाराणा के जाल में फँसकर पानी भोजन के अभाव में सेना का विनाश करवा बैठे। थक हारकर अकबर बांसवाड़ा होकर मालवा चला गया। पूरे सात माह मेवाड़ में रहने के बाद भी हाथ मलता अरब चला गया। शाहबाज खान के नेतृत्व में महाराणा के विरुद्ध तीन बार सेना भेजी गई परन्तु असफल रहा। उसके बाद अब्दुल रहीम खान-खाना के नेतृत्व में महाराणा के विरुद्ध सेना भिजवाई गई और पीट-पीटाकर लौट गया। 9 वर्ष तक निरन्तर अकबर पूरी शक्ति से महाराणा के विरुद्ध आक्रमण करता रहा। नुकसान उठाता रहा अन्त में थक हार कर उसने मेवाड़ की और देखना ही छोड़ दिया। 3. महाराणा प्रताप जी भीलों के साथ ही युद्ध कला सीखते थे. अभिगमन तिथि 9 May 2019.

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महाराणा प्रताप सिंह का जीवन परिचय

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ऐसी स्थिति में संयोगवश को पीछे हटना पड़ा और 21 जून 1576 ई. Retrieved 1 November 2021. Mail us : दोस्तों अगर आपको हमारा post पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ share करे और उनकी सहायता करे. Retrieved 1 November 2021. Retrieved 8 December 2021.


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Maharana Pratap biography in hindi महाराणा प्रताप की जीवनी1

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उनके जीवन के हरेक पहलू को जानने के लिए यहां आपको उनकी जीवनी हिंदी में उपलब्ध करवाई जा रही है. वे अजब्देह के पुत्र थे महाराणा प्रताप के साथ अमर सिंह जी ने शासन संभाला था और चित्तोड़ की रक्षा की मरते दम तक महाराणा प्रताप की पत्नी अजबदे की कहानी — Maharana Pratap and Ajabde Love Story in Hindi सभी के जीवन में एक बार प्यार का मोड़ आता ही है चाहे जल्दी हो या फिर देर से मगर आता ही है ये मोड़ ऐसे ही महाराणा प्रताप और उनकी पत्नी की कहानी उनकी पहली पत्नी का नाम अजब्देह है जो की सामंत नामदे राव राम रख पनवार की बेटी थी. इसलिए जगमाल ने प्रताप को राज्य से बाहर निकलवा दिया. महाराणा प्रताप उपलब्धियाँ Maharana Pratap Achievements पू. महाराणा प्रताप की मृत्यु Maharana Pratap Death - कहा जाता है की राणा प्रताप शेर का शिकार करते हुए गहरी चोट से घायल हो गये थे और 19 जनवरी 1597 ई. Retrieved 11 April 2022. Maharana Pratap History in Hindi नाम महाराणा प्रताप दादा महाराणा सांगा दादी राणी सा कर्मावती पिता महाराणा उदयसिंह माता राणी जैवन्ता बाई जन्म 9 मई 1540 जन्म स्थान कुम्भलगढ़ दूसरा नाम कीका राज्याभिषेक 28 फरवरी 1572 राज्याभिषेक स्थान गोगुन्दा मत्यु 19 जनवरी 1597 ई.

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Maharana Pratap History in Hindi, Death, Wife, Son, Date of Birth, Bio

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History of battles and seiges. A History of Jaipur: c. अकबर ने बहुत कोशिशे की महाराणा प्रताप को अपने अधीन करने की उन्हें हराने की उन्हें बंधी बनाने की लेकिन वो महाराणा प्रताप को अपने अधीन नहीं कर सका. उनके जैसा विराट व्यक्तित्व मध्यकालीन भारत में खोजने से भी नहीं मिलता जिन्होंने स्वतंत्रता की खातिर और अपनी मातृभूमि को परतंत्रता से मुक्त करवाने के लिए अपना जीवन होम कर दिया. महाराणा प्रताप सिंह ने मुगलों को कईं बार युद्ध में भी हराया. महाराणा प्रताप जब राजा बने और अपने आसपास के सभी राज्यों को जीत लिया तब उस समय के सबसे महान मुगल शासक अकबर को डर लगने लगा था कि कहीं महाराणा प्रताप उसके राज्य पर कब्जा ना कर ले इसीलिए उसने Maharana Pratap के राज्य मेवाड़ पर आक्रमण किया मुगल शासक अकबर ने पहले तो बहुत कोशिश किया अपने कई दूत भेजें की महाराणा प्रताप को भी अन्य राजाओं की तरह अपनी अधीनता स्वीकार करा लें लेकिन महाराणा प्रताप ने उसकी अधीनता स्वीकार नहीं की जिस वजह से महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर के बीच हल्दीघाटी का युद्ध हुआ.

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Tunisha Sharma

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अब युद्ध का समय हो चूका था मानसिंह अपनी सेना लिए हल्दीघाटी एक तरफ खड़ा था और दूसरी और प्रताप की सेना खड़ी थी. में इसका लाभ उठाया। मेवाड़ में मुक्ति के प्रयास और भी तेज हो गए। महाराणा की सेना ने मुगल चौकियों पर हमला करना शुरू कर दिया और तुरंत ही उदयपुर सहित 36 महत्वपूर्ण स्थानों पर महाराणा का अधिकार फिर से स्थापित हो गया। जिस समय महाराणा प्रताप ने गद्दी संभाली, उस समय मेवाड़ की भूमि पर उनका अधिकार था, अब उनकी सत्ता पूरी भूमि के एक ही हिस्से पर फिर से स्थापित हो गई थी। बारह वर्ष के संघर्ष के बाद भी अकबर इसमें कोई परिवर्तन नहीं कर सका। और इस प्रकार महाराणा प्रताप लंबे संघर्ष के बाद मेवाड़ को मुक्त कराने में सफल हुए और यह समय मेवाड़ के लिए स्वर्ण युग साबित हुआ। मेवाड़ पर अकबर का ग्रहण 1585 ई. The people used to call them Kika with love. मानव बाजार का दलाल अकबर एक दिन जरूर इस दुनिया को छोड़ने जा रहा है; वह हमेशा के लिए नहीं रहने वाला है। फिर क्या हमारी दौड़ प्रताप तक आने वाली है, जो अमानवीय भूमि में राजपूत बीज बोने जा रहे हैं? Maharana Pratap अंग्रेज़ी में. Maharana Pratap एक ऐसे शासक थे जिन्हें हराने के लिए जब तक महाराणा प्रताप जीवित रहे अकबर उन्हें हराने का कोशिश करता रहा लेकिन यह कोशिश उसका नाकाम ही रहा वह महाराणा प्रताप को कभी भी हरा नहीं सका अपनी अधीनता स्वीकार नहीं करा सका.

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